Wobble Seam in Cricket: एक वक्त था ,जब क्रिकेट में सीमित प्रयोग और नियमों के बीच खेल होता था। लेकिन समय के साथ सबकुछ बदल गया। खासकर जब से क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट ने दस्तक दी है। मतलब टी 20 क्रिकेट ने तो क्रिकेट की तस्वीर ही बदलकर रख दी।
आधुनिक युग के क्रिकेट ने बल्लेबाजों और गेंदबाजों को नए-नए प्रयोग करने पर मजबूर किया है। बल्लेबाजों ने जहाँ कई अद्भुत और रोचक शॉट ईजाद किए तो वहीं गेंदबाजों ने भी अपने तरकस से बहुत से ऐसे तीर निकाले है जो आज चर्चा का विषय बने हुए है।
Wobble Seam Inovation
ऐसी ही एक नायाब कोशिश व करिश्मा मोहम्मद सिराज (Mohammed Siraj) और स्टुअर्ट ब्रॉड (Stuart Broad) ने कर दिखाया है। ये दोनों दोनो गेंदबाज अपनी गेंदबाजी की पुस्तक में वॉबल सीम जैसा करिश्माई अध्याय जोड़ चुके है और इसी वॉबल सीम का इस्तेमाल वो मैदान पर भी कर रहे है। जिसकी वजह से बल्लेबाज परेशानी में दिखाई दे रहे है।
क्रिकेट में गेंदबाज द्वारा फेंकी जाने वाली गेंदे जैसे यॉर्कर, बीमर, और बाउंसर ने बल्लेबाजों को पहले से चारों खाने चित्त कर रखा है और अब मोहम्मद सिराज व स्टुअर्ट ब्रॉड की वॉबल सीम ने बल्लेबाजों के अंदर खौफ पैदा कर दिया है। अब वॉबल सीम बॉल ने बल्लेबाजों की परेशानियों में और इजाफा कर दिया है। आइए जानते हैं कि आखिर वॉबल सीम बॉल है क्या।
वॉबल सीम बॉल क्या है
What is Wobble Seam in Cricket: वॉबल सीम बॉल भी अन्य सीम बॉल की ही तरह होती है। लेकिन इस बॉल की एक खासियत यह होती है कि यह गेंद टप्पा खाने के बाद अजीब हरकत करते हुए जाती है। चलिए और आसान भाषा समझते है। पहले समझते है की वॉबल का अर्थ क्या होता है। तो आपको बता दें कि वॉबल का अर्थ लड़खड़ाना होता है।
जब भी गेंदबाज इस तरह की डिलीवरी फेंकता है। तो गेंद सीधे ना जाकर लड़खड़ाती हुई दाएं बाएं ओर हिलती डुलती हुई जाती है। इस तरह की असमान्य डिलीवरी को वॉबल सीम बॉल कहते है। इसे आज कल तेज गेंदबाजों का ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है।
वॉबल सीम बॉल की बड़ी खासियत यह है कि इस गेंद को बल्लेबाज भांप नहीं पाता कि गेंद टप्पा खाने के बाद अंदर आएगी या बाहर जाएगी। क्योंकि इस गेंद की सीम एक जगह स्थिर नहीं होती है। वॉबल सीम दोनों दिशाओं में मूव करती है। जिसकी वजह से बल्लेबाज को यह गेंद खेलना काफी मुश्किल होता है। बस यही वजह है कि आज कल के बल्लेबाजों में वॉबल सीम बॉल का खौफ है।
कब हुई थी वॉबल सीम की शुरुआत
क्रिकेट में कई ऐसे शॉट और गेंदें है जिनका श्रेय अलग-अलग बल्लेबाजों और गेंदबाजों को दिया जाता है जो आगे चलकर उनका सिग्नेचर कला जाती है। वैसे मौजूदा समय में क्रिकेट में वॉबल सीम बॉल का इस्तेमाल चुनिंदा गेंदबाज ही कर रहे है। लेकिन क्या आप जानते है कि इसकी शुरुआत किसने की थी। दरअसल वॉबल सीम बॉल की खोज का श्रेय इंग्लैंड के अनुभवी और तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन को दिया जाता है। यह गेंद बॉलेबाजों को पूरी तरह भ्रमित करके रखती है। इसलिए आज के दौर में इस बॉल को सबसे खतरनाक बॉल माना जाता है।
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एंडरसन ने इसे बनाया ब्रह्मास्त्र
एक इंटरव्यू में जेम्स एंडरसन (James Anderson) ने बताया था कि उन्होंने पहली बार वॉबल सीम बॉल का इस्तेमाल 2010/2011 की एशेज सीरीज में किया था। तो वहीं कुछ लोग इस गेंद का श्रेय पाकिस्तान गेंदबाज मोहम्मद आसिफ को देते है। कि साल 2010 में इंग्लैंड दौरे पर आसिफ ने इस तरह की गेंद फेंकी थी। मजेदार बात यह है कि इस बात को जेम्स एंडरसन ने भी स्वीकार किया है की उन्होंने इस गेंद की इंस्पिरेशन पाकिस्तान के मोहम्मद आसिफ से ली है।
क्यों करते है इसका उपयोग
क्रिकेट के मैदान पर बनी 22 गज की पट्टी पर पूरा खेल होता है और एक गेंदबाज को विकेट लेने के लिए इसी 22 गज की पट्टी पर अपना जादुई करिश्मा दिखाना होता है। यहां तक कि गेंदबाज को अपने गेंदबाजी के खजाने से कोई ऐसा तर्कस का तीर निकालना पड़ता है जिससे उसे विकेट हासिल हो जाए। वहीं वॉबल सीम बॉल का उपयोग इसलिए करना पड़ता है जब गेंदबाज को स्विंग मिलना बंद हो जाती है। उस समय गेंदबाज के पास कोई बड़ा हथियार नही होता। तब जाकर गेंदबाज वॉबल सीम बॉल का इस्तेमाल करता है।
कैसे फेंकी जाती है वॉबल सीम बॉल
इस तरह की गेंद को फेंकने के लिए गेंदबाज को कुछ अलग नहीं करना होता है। उसे वॉबल सीम बॉल के लिए रेगुलर सीमर की गेंद के समान ही तकनीक का उपयोग करते है। गेंद पर ग्रिप, नियमित गेंदबाज की डिलीवरी की तरह ही होती है।

ऐसे समझिए वॉबल सीम बॉल फेंकने के लिए गेंदबाज को अपनी इंडेक्स और रिंग फिंगर को सीम के दोनों ओर थोड़ा गैप करके रखना होता है। फिर गेंद पर नियंत्रण रखने के लिए अंगूठा को पीछे से सपोर्ट में रखना होता है और अपने ही एक्शन से डिलीवरी को छोड़ना होता है। अक्सर गेंदबाज इस बॉल का इस्तेमाल पॉवर प्ले या फिर नई गेंद के समय करते है। इससे विकेट मिलने के चांस बढ़ जाते है।
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