Greg chappell: भारतीय क्रिकेट के लिए पिछले करीब 2 दशक बहुत ही सुनहरें रहे हैं। साल 2000 के मैच फिक्सिंग कांड के बाद भारत का क्रिकेट पूरी तरह से बैकफुट पर आ गया था, जहां पूरी दुनिया में भारतीय क्रिकेट की किरकिरी हुई। इसके बाद 2001 से सौरव गांगुली के कप्तान बनते ही स्थिति बदली और टीम इंडिया का खेलने का अंदाज भी बदल गया। सौरव गांगुली के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट ने सफलता के नए आयाम स्थापित किए।
ग्रेग चैपल का टीम इंडिया की कोचिंग के दौरान विवादों से रहा नाता
दादा के कप्तान रहते भारतीय क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज और कप्तान ग्रेग चैपल की एन्ट्री हुई। इस कंगारू खिलाड़ी को टीम इंडिया का मुख्य कोच क्या बनाया गया, इसके साल 2005 से 2007 तक अगले 2 साल भारतीय क्रिकेट के सुनहरें सफर में काले धब्बे की तरह साबित हुए। क्योंकि ग्रेग चैपल ने अपनी एन्ट्री के बाद भारतीय क्रिकेट में ही आपसी फूट पैदा कर दी।

चैपल-गांगुली विवाद नहीं भूल सकता कोई
ग्रेग चैपल और सौरव गांगुली का विवाद जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है। इस विवाद ने बड़े स्तर पर सौरव गांगुली और भारतीय क्रिकेट की साख गिरायी थी। ग्रेग चैपल ने इसी दौरान टीम में जबरदस्त फूट पैदा की थी, जिसका असर टीम के प्रदर्शन पर भी दिखा था जहां 2007 के वनडे वर्ल्ड कप में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में टीम इंडिया लीग राउंड में ही बाहर हो गई थी।
वीरेन्द्र सहवाग का ग्रेग चैपल को लेकर बड़ा खुलासा
टीम इंडिया के पूर्व कोच ने कईं तरह के विवाद को जन्म दिया, जिसमें से एक बड़ा खुलासा टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग ने किया। भारत के सबसे सफलतम ओपनर्स में अपना नाम शुमार करने वाले वीरू के लिए भी ग्रेग चैपल के आने के बाद टीम से छुट्टी हो गई थी, उसी बात का जिक्र करते हुए सहवाग ने करीब 17 साल बाद बड़ा खुलासा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि ग्रेग चैपल ने उन्हें टीम का कप्तान बनाने की बात कही थी, लेकिन कप्तानी क्या, उन्हें टीम से ही बाहर कर दिया गया। यहां वीरू ने हर एक कोच के फेवरेट खिलाड़ी की पॉलिसी को लेकर बात की।
चैपल ने वीरू को बताया था अगला कप्तान, फिर टीम से ही कर दिया बाहर
जेन मास्टर ऑफ मॉर्डन क्रिकेट कहे जाने वाले वीरेन्द्र सहवाग ने स्पोर्ट्स नेक्स्ट पर दिए एक इंटरव्यू में कहा कि “सीनियर खिलाड़ियों ने भारतीय कोचों के साथ काफी ज्यादा समय बिताया था और उनके अपने फेवरिट खिलाड़ी होते थे। वे अपने पसंदीदा प्लेयर्स का पक्ष लेते थे। जो फेवरिट नहीं होता है उसकी शामत आ जाती है। प्लेयर्स को लगता था कि विदेशी कोच आएगा तो फिर वो सबको बराबर की निगाह से देखेगा।“
ये भी पढ़े- https://cricketwindows.com/2023/06/20/yuzvendra-chahal-this-bowler-wants-to-fulfill-the-dream-of-playing-test-cricket-for-team-india/Yuzvendra Chahal: टीम इंडिया का सबसे चतुर गेंदबाज करना चाहता है इस सपने को पूरा, 32 की उम्र में भी नहीं छोड़ी आस
“हालांकि ये सच नहीं है, क्योंकि विदेशी कोचों के भी अपने पसंदीदा खिलाड़ी होते हैं। वे भी नाम के ऊपर जाते हैं, चाहें तेंदुलकर हों, द्रविड़, गांगुली या फिर लक्ष्मण। जब ग्रेग चैपल आए तब उनका पहला बयान यही था कि सहवाग कप्तान बनेंगे। दो महीने में कप्तानी तो भूल जाइए मैं टीम से ही बाहर था।”