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Team India: ‘रोहित-विराट का अनुभव सोने से भी है बहुमूल्य’ टीम इंडिया के दिग्गजों को मिला पूर्व साथी खिलाड़ी का साथ, बोर्ड पर उठाए सवाल

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Team India: भारतीय क्रिकेट ही नहीं बल्कि पूरा विश्व क्रिकेट इन दिनों टीम इंडिया के दो सबसे बड़े सुपरस्टार खिलाड़ियों रोहित शर्मा और विराट कोहली की ही चर्चा कर रहा है। भारत के लिए पिछले करीब डेढ़ दशक से भी ज्यादा वक्त से खेल रहे इन दोनों दिग्गज खिलाड़ियों के करियर को बीसीसीआई थामने की कोशिश में जुटी है, और इसी वजह से पिछले ही दिनों रोहित शर्मा को टीम इंडिया की वनडे कप्तानी से बेदखल कर दिया।

रोहित-विराट के 2027 वर्ल्ड कप में खेलने पर मंडरा रहा है खतरा

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में रोहित शर्मा और विराट कोहली दोनों को शामिल जरूर किया गया है, लेकिन इस सीरीज के लिए रोहित की जगह शुभमन गिल को कप्तानी दे दी गई है। इसी वजह से अब दोनों ही दिग्गजों के 2027 के वर्ल्ड कप में खेलने को लेकर खतरा मंडरा रहा है।

अश्विन ने दिया अपने दोनों साथी खिलाड़ियों का साथ

भारतीय क्रिकेट टीम के लिए वनडे क्रिकेट में रोहित और विराट ने अभूतपूर्व योगदान दिया है और उन दोनों ने कुल मिलाकर 82 शतक जड़े हैं। अब उनसे आगे सोचने की टीम मैनेजमेंट ने शुरू कर दिया है, उसे लेकर रोहित-विराट के साथ सालों तक खेले पूर्व साथी खिलाड़ी आर अश्विन ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

अश्विन ने दो टूक अंदाज में ये कह दिया है कि बूढ़ा कहना तो आसान है, लेकिन इनके अनुभव की कीमत और योगदान सोने से भी ज्यादा है। आर अश्विन ने अपने यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से कहा कि, एक तरफ टीम सेलेक्शन है, दूसरी तरफ कोहली और रोहित। ये दोनो खिलाड़ी एक ही सिक्के के दो भाग हैं। चयनकर्ताओं के फैसलों से यह साफ है कि वे आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन सवाल यह है कि जो खिलाड़ी देश के लिए एक दशक से भी ज्यादा समय तक खेले, उनके साथ बदलाव का तरीका क्या होना चाहिए?”

बूढ़ा कह देना आसान, अनुभव की कीमत सोने से भी ज्यादा- अश्विन

उन्होंने कहा कि, रोहित और कोहली जैसे खिलाड़ियों को सिर्फ बूढ़ाकह देना आसान है, लेकिन ऐसे खिलाड़ियों का अनुभव टीम के लिए सोने से भी ज्यादा कीमती होता है। आईपीएल में कोई युवा अच्छा खेलता है तो तुरंत तुलना शुरू हो जाती है, लेकिन कोई यह नहीं देखता कि दबाव की घड़ी में मैदान पर खड़ा रहना क्या होता है।

अश्विन ने नॉलेज ट्रांसफर को लेकर खास तरह से अपनी बात रखी। जिसमें उन्होंने कहा कि, यह सिर्फ तकनीक सिखाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानसिक मजबूती और दबाव झेलने की क्षमता साझा करना भी शामिल है। कोहली और रोहित को किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है, लेकिन क्या भारतीय टीम में कभी यह व्यवस्था बनी कि वे युवा खिलाड़ियों को सिखा सकें कि मैच प्रेशर से कैसे निपटा जाए, इंजरी से कैसे बचा जाए?”

उन्होंने साथ ही बीसीसीआई और टीम मैनेजमेंट के ट्रांजिशन फेज के प्लान पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जिसमें उन्होंने कहा कि, “भारत में “ट्रांजिशन फेज” की कोई ठोस योजना नहीं होती, यानी टीम बदलाव के दौर से कैसे गुजरे, इसके लिए कोई प्लान नही होता है।”